रायगढ़ 13/09/2024 आज चक्रधर समारोह में पद्मश्री भारतीय बंधुओं का सूफी गायन की प्रस्तुति

दिल्ली और मेरठ के ‘किराना’ घराने से उस्ताद आशिक अली खान और रायपुर के ही हाजी ईद अली चिश्ती की शार्गिदी में संगीत की तालीम लेने वाले भारती बंधु वैसे तो सात भाई है, लेकिन मंच पर भजनों की प्रस्तुति पांच भाई ही देते हैं। तीन दशक पहले जब भारती बंधु ने भजन गायकी को अपने जीविका का हिस्सा बनाया तो वैसा सम्मान नहीं मिला जैसा मिलना चाहिए था। पदश्री मिला तब आया सुधार| भारती बंधु मारवाड़ी श्मशान घाट से सटे हुए एक मकान में रहते हैं |सगुण और निर्गुण परम्परा के एक बड़े भजन गायक भारती बंधु, पांच अप्रैल 2013 को जब उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया तो उनकी गायकी को पसंद करने वाले शुभचिंतकों ने ठौर-ठिकाना बदलने की सलाह दी। एक बिल्डर ने उन्हें अपने फ्लैट में रहने का आमंत्रण दिया, लेकिन भारती बंधु जगह बदलने के लिए तैयार नहीं हुए। कबीर के एक भजन के हवाले से वे कहते हैं- चार जने मिल अर्थी उठाई, बांधी कांठ की डोली, ले जाके मरघट में धर दई, फूंक दिए जस होली।

भारती बंधु का कहना है कि मां की कोख से कब्र का रास्ता दूर नहीं होता… पर कभी-कभी चलते-चलते एक सदी लग जाती है और कई बार सारा कुछ पल भर में ही खाक हो जाता है। जब सबको धूल और धुआं बनकर ही उड़ जाना है तो फिर अंतिम सत्य से मुंह क्यों चुराना? अब तो हर रोज अर्थियां घर के पास से गुजरती है तो लगता है एक न एक दिन मृत्यु उनका बढिय़ा इंटरव्यूह करने और उत्सव का न्योता देने के लिए आने ही वाली है।
नहीं मिलता था रिक्शे का किराया

भारती बंधु गणेश और दुर्गा पूजा में कार्यक्रम देते थे, मगर आयोजनकर्ता साजो-सामान लाने-ले जाने के लिए रिक्शे का किराया देना भी मुनासिब नहीं समझते थे। मुफलिसी का बेहद कठिन दौर देखने वाले भारती बंधु कहते हैं- हम लोग तबला और हारमोनियम को साइकिल में बांधकर ले जाते थे। बप्पी लहरी के युग में लोगभजन को भी डिस्को अंदाज में गाने के लिए कहते थे, लेकिन चंद पैसों के लिए हमने समझौता नहीं किया।
छत्तीसगढ़ का निर्माण होने से कुछ पहले भारती बंधु की गायकी का असर छाने लगा था। वे हर सरकारी और गैर सरकारी समारोह का हिस्सा बनने लगे थे बावजूद इसके संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें राज्य अलंकरण से सम्मानित नहीं किया गया। वे कहते हैं- ‘हम शायद सरकार के मापदंडों पर खरे साबित नहीं हो पाए हैं। हम सब कुछ कर सकते हैं, लेकिन अगर सरकार सोचती है कि भजन गाते-गाते आयोडीन नमक का प्रचार करने लगे तो यह नहीं हो पाएगा।’ कमर जलालवी के एक शेर के हवाले से भारती बंधु कहते हैं- दबा के कब्र पर सब चल देंगे एक दिन… फिर न दुआ होगी न सलाम। हम कहते रह जाएंगे-जरा सी देर में क्या हो गया जमाने को।
